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1. Moral Story in hindi Kachuwa aur Khargosh
कछुआ और खरगोश
कछुआ हमेशा धीरे-धीरे चलता था। कछुए की चाल देख खरगोश खूब हँसता।
एक दिन कछुए ने खरगोश से दौड़ की शर्त लगाई। दौड़ शुरू हुई। खरगोश खूब जोर दौड़ने लगा। वह जल्दी ही कछुए से काफी आगे निकल गया।
Khargosh aur kachuwa kahani |
अपनी जीत निश्चित मान कर खरगोश सोचने लगा, अभी कछुआ बहुत पीछे हैं। वह धीरे धीरे चलता है। इतनी जल्दी शर्त जीतने की जरूरत क्या है? पेड़ के नीचे बैठकर थोड़ा आराम कर लूँ। जब कछुआ पास आता दिखाई देगा, तो दौड़कर मैं उससे आगे निकल जाऊँगा और शर्त जीत लूंगा। यह देख कर कछुआ खूब नाराज होगा। बड़ा मजा आयेगा।
खरगोश पेड़ की छाया में आराम करने लगा। कछुआ अब भी काफी पीछे था। थकान के कारण खरगोश को नींद आ गयी। जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि कछुआ आगे चला गया है और विजय-रेखा पारकर मुस्करा रहा है।
खरगोश शर्त हार गया।
Moral Of the Story
2. Moral Stories in Hindi for kids Angoor Khatte Hai
अंगूर खट्टे है.
एक दिन एक भूखी लोमड़ी अंगूर के बगीचे में जा पहुँची बेलों पर पके हुए अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे।
angoor khatte hai kahani |
यह देख लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। मुँह ऊपर की ओर तानकर उसने अंगूर पाने की कोशिश की। पर वह सफल न हो सकी। अंगूर काफी ऊँचाई पर थे। उन्हें पाने के लिए लोमड़ी खूब उछली, फिर भी वह अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी।
जब तक वह पूरी तरह थक नहीं गई, उछलती ही रही। आखिरकार थककर उसने उम्मीद छोड़ दी और वहाँ से चलती बनी। जाते-जाते उसने कहा, “अंगूर खट्टे हैं। ऐसे खट्टे अंगूर कौन खाए?”
Moral of the Story
शिक्षा -हार मानने में हर्ज क्या?
3. Hindi stories for kids, Bacchon ke liye kahani hindi me Chalak Lomadi
एक दिन एक कौए ने एक बच्चे के हाथ से एक रोटी छीन ली। उसके बाद वह उड़कर पेड़ की ऊँची डाली पर जा बैठा और रोटी खाने लगा। एक लोमड़ी ने उसे देखा तो उसके मुँह में पानी भर आया। वह पेड़ के नीचे जा पहुँची। उसने कौए की ओर देख कर कहा, कौए राजा, नमस्ते। आप अच्छे तो है?
Chalak Lomadi story in Hindi |
कौए ने कोई जवाब नही दिया।
लोमड़ी ने उससे कहा, कौए राजा, आप बहुत सुंदर एंव चमकदार लग रहे हैं। यदि आपकी वाणी भी मधुर है,तो आप पक्षियों के राजा बन जाएँगे। जरा मुझे अपनी आवाज तो सुनाइए।
मूर्ख कौए ने सोचा, मैं सचमुच पक्षियों का राजा हूँ। मुझे यह सिदध कर देना चाहिये। उसने ज्यों ही गाने के लिए अपनी चोंच खोली रोटी चोंच से छूटकर नीचे आ गिरी।
लोमड़ी रोटी उठाकर फौरन भाग गयी।
Moral of the story
शिक्षा -झूठी तारीफ करनेवाले से सावधान रहना चाहिए |
4. Moral Story Hindi Gramin chuha aur shahari chuha
ग्रामीण चूहा और शहरी चूहा
एक ग्रामीण चूहा था। वह खेत में रहता था। एक शहरी चूहा उसका मित्र था। वह शहर में रहता था। एक दिन ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे को खाने पर निमंत्रित किया। उसने अपने शहरी मेहमान को मीठे-मीठे बेर, मूंगफली के दाने तथा कंदमूल खाने को दिए। पर शहरी चूहे को गाँव का सादा भोजन पसंद नही आया। उसने ग्रामीण चूहे से कहा, भाई! सच्ची बात कहूँ तो तुम्हारा यह देशी खाना मुझे पसंद नही आया। यह तो बड़ा घटिया किस्म का खाना है। इसमें कोई स्वाद भी नहीं है। तुम मेरे घर चलो, तो तुम्हें पता चलेगा कि बढि़या खाना कैसा होता है!
Chuha story in Hindi |
ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे का आमंत्रण स्वीकार कर लिया। एक दिन वह शहर गया। उसके शहरी मित्र ने उसे अजींर, खजूर, शहद, बिस्कुट, पावरोटी, मुरब्बा आदि खाने को दिया। भोजन बड़ा स्वादिष्ट था।
लेकिन शहर मे वे दोनो चैन से भोजन नही कर पाए। वहाँ बार-बार एक बिल्ली आ जाती चूहों को अपनी जान बचाने के लिये भागना पड़ता था। शहरी चूहे का बिल भी बहुत छोटा और सँकरा था।
कितना दुखी जीवन है तुम्हारा, भाई? ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे से कहा, मैं तो घर लौट जाता हूँ। वहाँ मैं कम से कम शांतिपूर्वक खाना तो खा सकता हूँ। खेत में अपने स्थान पर वापस लौटने पर ग्रामीण चूहे को बड़ी प्रसन्नता हुई।
Moral of the story
शिक्षा : – शांति और निर्भयता मे ही सच्चा सुख
5. Short moral story in hindi, shiksha kahani bacchon ke liye Tidda Aur Chinti
टिड्डा और चींटी
गर्मियों के दिन थे। खुली धूप थी और मौसम साफ था। अनाज भी भरपूर था। ऐसे समय पर एक टिड्डा भरपेट खाना खाकर गीत गाने में मस्त था। उसने देखा, कुछ चींटियाँ खाने की सामग्री ले जा रही हैं।
chinti aur Tidda |
शायद वे भविष्य के लिए संग्रह कर रही थीं। चींटियों को देखकर वह हँसने लगा। उनमे से एक चींटी से उसकी दोस्ती थी। टिड्डे ने उस चींटी से कहा, “तुम सब कितनी लालची हो! इस खुशी के मौके पर भी काम कर रही हो! तरस आता है तुम पर!” चींटी ने जवाब दिया, “अरे भाई, हम लोग बरसात के लिए खाने की सामग्री एकत्र कर रही हैं।”
गर्मियों के बाद बरसात का मौसम शुरू हुआ। आकाश में बादल छा गए। खुली धूप जाती रही! अब टिड्डे के लिए भोजन जुटाना मुश्किल हो गया। आखिरकार उसके सामने भूखों मरने की समस्या खड़ी हो गई।
एक दिन टिड्डे ने अपनी दोस्त चींटी का दरवाजा खटखटाया। उसने कहा, “चींटी बहन कृपा कर मुझे कुछ खाने के लिए दो। मैं बहुत भूखा हूँ।” चींटी ने जवाब दिया, “गर्मी के दिनों में तो तुम गीत में मगन होकर इधर-उधर घूमते रहे, अब बरसात के मौसम में कही जाकर नाचो। तुम जैसे आलसी को मैं एक भी दाना नहीं दे सकती।” और उसने झट से दरवाजा बंद कर दिया।
Moral of the story
शिक्षा -आज की बचत ही कल काम आती है।