मित्रो भारत देश विचित्रताओ का देश है यहा पर एक सामान्य इंसान से लेकर बड़े बड़े व्यापारी भी ज्योतिष के सहारे आगे बढ़ते है | क्या ज्योतिष विज्ञान से इंसान अपने भविष्य को देख सकता है इसका उत्तर तो वो ही लोग दे सकते है जिन्होंने इसे अनुभव किया हो | हम जिस चीज को जब तक अनुभव नहीं करते है तब तक वो हमे मिथ्या लगती है | जैसे किसी इन्सान की नौकरी नहीं लग रही हो और वो किसी ज्योतिष के कहने पर अपनी दैनिक जीवन में कुछ बदलाब करता है और संयोग से उसकी नौकरी लग जाए तो वो इंसान जिन्दगी भर इसे ज्योतिष का चमत्कार ही समझेगा और जिसने इसका अनुभव नहीं किया हो वो इसे बकवास मान सकते है | लेकिन आज जो हम आपको किस्सा सुनाने जा रहे है वो ना किसी ज्योतिष का है और ना किसी संयोग का | ये किस्सा है एक लडकी के बारे में है जिसने अपनी मौत के 7 साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी | कैसे ??? आइये जाने उस लडकी का नाम अम्बा था और वो बचपन से बहुत होशियार थी | इस लडकी के बारे में आपको इन्टरनेट पर कही पर भी विस्तृत जानकारी नहीं मिलेगी | अम्बा ने अपने पिता को 1 नवम्बर 1995 को 14 साल की उम्र में एक कविता गिफ्ट में दी थी और यही गिफ्ट हमारी इस कहानी का रहस्य है आखिर क्या ऐसा लिखा था उस कविता में जो भविष्य की सच्चाइयो को बयां कर रहा था और वो उसकी जिन्दगी का आखिरी सच बन गया | उस कविता में अम्बा ने लिखा था एक निर्जीव शरीर पड़ा मेरा शरीर जिससे बंधी थी मै अनोखे धागों से , एक लगाव सा था क्यूंकि वो मेरा शरीर था , तड़प रही थी मै एक और साँस जीने के लिए , झूम उठी मै अपनी आजादी से , मै उडी मै चली एक नयी उड़ान भरने , दिल में एक आस थी एक नज़र देख तो लू , मेरी खत्म होती जिन्दगी , मेरा शरीर जो छलनी होकर पड़ा था , खून में लथपथ, यादे इक्कीस साल की , विदाई इस शरीर की , सारे बह गयी इस मन से , लेकिन आज मै उठी और उडी , पीछे छोड़ अपनों की सिसकिया , मै उठी और उडी , मेरे नए घर की और , मै अकेली पर मै थी खुश , आखो में लिए सपना नए जहाँ का अम्बा ने अपनी जिन्दगी में केवल यही कविता लिखी थी हालंकि उसे डांस और पेंटिंग का काफी शौक था | अम्बा अपने पापा और अपनी एक सहेली सलोनी को अपना सबसे अच्छा मित्र मानती थी | धीरे धीरे अम्बा 21 साल की हो गयी | उसके पिताजी उसकी वोही कविता के बारे में सोचकर हमेशा फ़िक्र करते रहते थे | एक दिन सलोनी देर रात घर नहीं पहुची तो उसके पिताजी बहुत घबरा गए | लेकिन कहते है ना होनी को कोई नहीं टाल सकता 19 नवम्बर 2001 को अम्बा की जिन्दगी में वही मोड़ आ गया और उसके हाथो से लिखी वही कविता ,वही आखिरी सच | उसकी गाड़ी उस रात अँधेरे में भटकने से खाई में जा गिरी और वो वो उन्ही कविता के पन्नो के जरिये अपने नए घर में पहुच गयी | उसके पिताजी को फ़ोन के जरिये अम्बा की मौत की खबर मिली और जिसका उन्हें डर था वोही मंजर उनके सामने खड़ा था | उसके पिताजी से मीडिया वालो ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने ये सारा सच बताया और कहा मै भी एक दिन उसके नए घर में जाकर उसके साथ कुछ पल बिताऊंगा कविता लिखते वक़्त क्या अम्बा जानती थी कि वो मरने वाली है ???? या किसी ताकत ने उसका हाथ पकडकर उसकी मृत्यु की तारीख लिख दी थी और हुआ भी बिलकुल वैसे जैसा उसने सात साल पहले अपनी कविता में लिखा था | इस तरह के सवालो के आगे कोई विज्ञान या लॉजिक काम नहीं करता है और हम ये मानने पर मजबूर हो जाते है कि कोई ताकत है कोई शक्ति है जो हमसे ज्यादा जानती है और वो बराबर हमे चेतावनी देती है बस हम नहीं समझ पाते उन इशारो को | मानो या ना मानो
ek ladki insane 7 saal pehle likh thi apni mout ki bhavishyawani