घुटन : एक डरावनी दास्ताँ
ये बात काफी पुरानी है शायद १९९१ से १९९२ के लगभग की घटना है, हमारे पड़ोस में एक किरायेदार रहा करते थे, उनकी सर्विस ” टू व्हीलर ” कंपनी में एक मैकेनिक की थी उनकी प्रवृति नास्तिक थी, और उनकी पत्नी और बच्चे काफी धार्मिक थे उनके बीच में हमेशा इसी बात को लेकर झगड़ा होता था कि जब भी कोंई धार्मिक समारोह होता जैसे कोंई साधू संत का प्रवचन होना हो या कोंई झांकी को, या फिर पड़ोस में किसी के भी यहाँ भजन मंडली का कार्यक्रम हो तो उनकी पत्नी किसी भी समारोह में पुण्य कमाने का अवसर नहीं खोना चाहती थी इसीलिए वो जब भी किसी का बुलावा आता या कोंई ऊँचे साधु -संतो का प्रवचन होता वो तुरंत वहाँ जाने के लिए तैयार हो जाती थी यही बात उनके पति को अच्छी नहीं लगती थी, क्योंकि उनके इस तरह के बुलावो में जाने से उनके दैनिक कार्यो में व्यवधान पड़ता था |
मित्रो बात भी सही थी क्योंकि पहली जिम्मेदारी हमारे घर की होती है बाद में अन्य कार्यों कि ,लेकिन दोस्तों उनके पति हमेशा से नास्तिक नहीं थे, क्योंकि जब भी वो किसी देव स्थान से गुजरते अपना सिर जरूर झुकाते थे इसी से हमने ये बात नोटिस कर ली ये अन्दर से धार्मिक तो जरुर है,,,लेकिन इनके नास्तिक होने का काफी श्रेय इनकी पत्नी को जाता है,,, क्योंकि इंसान के कर्म और भाग्य दोनों एक साथ चलते है,आप चाहे कितनी भी अच्छी क़िस्मत लिखा के क्यों न लाये हो फल तो कर्म के अनुसार ही मिलेगा… इनकी पत्नी को घर के मकान की बहुत लालसा रहती थी,और भाग्य ने साथ दिया तो उनके “होम लोन ” की दिक्कते दूर हो गई, और उन्होंने अच्छा सा मकान खरीद लिया|
दोस्तों,,, अब यहाँ से बात शुरू होती है ,उनकी पत्नी के कारण उन अंकल को पूजा,पाठ, और हवन शांति, गृह प्रवेश को बिलकुल सिरे से नकार दिया और घर मे शिफ्ट हो गए, उस घर में जाते ही सबसे पहले तो उन अंकल को भगवान की तस्वीरे लगाते ही “किल” से गहरा जख्म हो गया और खून की धार जमीन पर गिर गई,,, उनको सात टाँके आये,,, घर में शिफ्ट होने के बाद वो कुछ समय के लिए कही बाहर चले गए,,, वापस आये तो उनके साथ अजीब -२ बाते होने लगी,,, उनको रात में कभी-२ ऐसा महसूस होता की कोंई उनके पास से होकर सिडियो की तरफ जा रहा है , तो कभी-२ उनकों नींद में ऐसा लगता की किसी की आने की झपकी पड़ी हो|
अब इस तरह उनको २-३ महीने हो गए,,, फिर एक दिन और एक बात हुई उन अंकल की तबीयत खराब हो गयी सब जांचेहो गई लेकिन कोंई समस्या नहीं आई,,, लेकिन वो अंकल अपनी पत्नी से कहते की मुझे बहुत घुटन महसूस हो रही है, और मन भी खराब हो रहा है,,, वो अपनी पत्नी से बोलते पता नहीं मुझे बार -२ ऐसा लग रहा है की बहुत जी भरकर “रोऊ”………..
दोस्तों यहाँ आपको ऐसा लग रहा होगा ये क्या बात हुई कोंई अपने आप क्यों रोयेगा,, लेकिन दोस्तों जो मैंने सुना वही बता रहा हूँ ,,,, आगे चलते है दोस्तों… उसके बाद वो अपनी पत्नी से बोले की पता नहीं पर मुझे लग रहा है की मैं अनाथ हो गया हूँ और सब मुझे छोड़कर चले गए… इसलिए मुझे रोने की इच्छा हो रही है उनकी पत्नी बोली ये क्या बोल रहे हो कहाँ सब चले गए ऐसी बाते क्यों कर रहे हो,,,,, दोस्तों , समय निकलता रहा,,, धीरे-२ परिवार में सभी सदस्य उदास-२ से और चुप रहने लगे कोंई किसी से ज्यादा बात नहीं करता था,,, उनके घर पर कोंई भी उनसे मिलने के लिए जाता तो यही कहता उनके यहाँ तो जाते ही ऐसा महसूस होता है जैसे कोंई मर गया हो और उसको जलाने कि तैयारी में गए हो,, और घुटन सी भी और रोने जैसी हालत हो जाती है,,, इसलिए हम तो वहाँ ज्यादा नहीं जाते है आजकल…..
दोस्तों हम, कहते हैं न की अच्छे कर्मो का फल हमेशा मिलता है हम तो शायद ये उनकी पत्नी के अच्छे कर्मो का ही फल मानते है की एक दिन एक सारंगी बजाने वाला जिसको हम लोग (कमली) भी कहते है उधर से गुजर रहा था, तो उनके बच्चे बाहर ही बैठे थे , अचानक वो दरवाजे के पास आकर रुका और बच्चे को थोड़ी देर देखने के बाद कहा बेटा तुम्हारी मम्मी को बुलाओ , बच्चा अन्दर जाकर बोला मम्मी कोंई मांगने वाला आया है आपको बुलाने के लिए कह रहा है…. उस बच्चे की मम्मी को देखकर सारंगी वाला बोला,,, बेटा तुम्हारे बच्चे का ध्यान रखना ,इसके साथ कोंई दुर्घटना होने वाली है, वो बोली क्या दुर्घटना वाली है,,वो बोला तुम उसे रोक नहीं सकते जो होना वो तो होकर रहेगा हम उसे नहीं रोक सकते है ,,, पर जितना जल्दी हो सके इस मकान को छोड़ दो…. या फिर इस घर में गायत्री पाठ और दुर्गा सप्तशती का ९ दिन तक अखंड पाठ करा लेना नहीं तो तुम यहाँ चैन से नहीं रह पाओगे और कुछ भी हो सकता है,,, वो सारंगी वाला चला गया,, उसके थोड़ी देर बाद बच्चे की माँ ने उसे किराने की दुकान से कुछ लाने के लिए भेजा, जो रोड के उस पार थी तो वो बच्चा जब सामान लेकर आ रहा था तो उसको किसी स्कूटर वाले ने टक्कर लगा दी ,, इतिफाक से बच्चे को भी सात टाँके आये|
अब जब से वो सारंगी वाला बोल कर गया तब से वो घर में दहशत सी फ़ैल गई, फिर उन आंटी ने वहाँ गायत्री पाठ और सप्तशती चंडी का पाठ कराने की सोच ली लेकिन जब भी इसका नाम लेते तो उनके पति फिर से इन सभी चीजों को नकारते रहते,,, उनकी पत्नी की स्तिथि ऐसी हो गई जैसे एक तरफ कुंवा एक तरफ खाई और बीच में शेर……. एक तरह से देखा जाए तो जब भी इस घर के शुद्धिकरण की बात आती तो हमेशा नकारात्मक सोच ही उभर के आती थी,, एक दिन उन अंकल के कोंई रिश्तेदार वह मिलने आये जो भजन किर्तन में व्यस्त रहते थे, उन्होंने भी जब वो जाने लगे तो वो बोले तुम ये मकान जल्दी से छोड़ दो नहीं तो कुछ भी हो सकता है मुझे यहाँ कुछ अच्छा नहीं लग रहा है…. फिर काफी जनों की राय लेने के बाद उनको वो घर छोड़ना ही पड़ा,,,, फिर कुछ महीनों बाद वो आंटी एक बुजूर्ग महिला से बाते कर रही थी तो बातों-बातों में उस मकान की जिक्र चला तो उन बुजूर्ग महिला ने बताया की यहाँ पर एक लड़की छत से गिर गई थी,, और जब दूसरा परिवार जब रहने आया तो एक दिन घर में करंट फैलने से साथ “सात” लोग एक साथ मर गए थे… ये घटना उन बुजुर्ग महिला के शादी के समय के आस-पास की घटना थी……..
तो दोस्तों इस पूरे घटनाक्रम में सात के आंकड़े का माजरा समझ के भी नहीं समझ नही आया,,,, लेकिन इस किस्से में एक बात तो सही है की बिना मुहूर्त और पूजा-पाठ के कोंई महत्वपूर्ण काम करने से क्या-२ अनहोनी हो सकती है………