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भूत प्रेतों की अनोखी अदालत 

आर्डर, आर्डर, आर्डर…  मनोज वल्द लाल्ता प्रसाद निवासी मदनपट्टी हाजिर होssssss। अमरेश हाजिर होssssss। सीता हाजिर होssssss। यह अदृश्य पुकार मीरजापुर जनपद में मीरजापुर-सोनभद्र मार्ग पर स्थित बीएचयू दक्षिणी परिसर के पास बलहरा ग्राम स्थित मोहन बरम बाबा के धाम में आते ही इंसान झुमने लगते हैं। यह आवाज़ नवरात्र में लगातार गूंजती रहती है। जी हां, यहां लगती भूतों की अदालत लगती है। ऐसा माना जाता है किबरम बाबा की अदालत में हाजिरी लगाने के लिए आने वालों को न्याय जरुर मिलता है। पुजारी पंडित राम नारायण दुबे ने बताया कि प्राचीन समय से लोग चौरी पर आते हैं। खुद राहत महसूस करते हैं। दूसरे पुजारी रमाकांत बताते हैं कि बाबा के दर पर हाजिरी लगाते ही शुरू हो जाती है भूतों की अदालत। इसमें तमाम जनपदों से लोग आते हैं। उनके साथ आते है भूत, जो बाबा की चौरी के पास पहुंचते ही खेलने लगते हैं। पुजारी रमाकांत बताते हैं कि मामूली भूत तो बाबा की अदालत में आने के बाद मामूली फटकार से ही कान पकड़कर उठक बैठक कर भाग जाते हैं।

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पंडित राम नारायण दुबे बताते हैं कि इन्सान के साथ रहकर शातिर बन चुके भूतों को कठोर दंड दिया जाता है। चौरी के पास बने कुण्ड में भूतों को बाबा के दंडाधिकारी सबक सिखाते है। जब तक वह तौबा नही कर लेता उसको इस कदर सबक सिखाया जाता है कि उसे अंतत: भागना ही पड़ता है।
सियालदह से आये केल्टू घोष ने बताया की मेरी बहन को मानसिक बीमारी है काफी इलाज कराया ठीक नहीं हुई इसलिए इस बार इस दरबार में आया हु बड़ा नाम सुना था इलाज के बाद हो कुछ बता पाउँगा।
बिहार से आये विमल यादव बताते हैं कि उनकी पत्नी को रह-रह कर दौरा पड़ता है। लोगों ने यहाँ के बारे में बताया है की नवरात्र में मेला लगता है तो अपनी पत्नी को लेकर आया हूं।
बिहार से आये विमल यादव बताते हैं कि उनकी पत्नी को रह-रह कर दौरा पड़ता है। लोगों ने यहाँ के बारे में बताया है की नवरात्र में मेला लगता है तो अपनी पत्नी को लेकर आया हूं।
यही नहीं बलिया से आयी मुन्नी देवी को इतना विश्वास है कि उनकी बेटी एक साल पहले यहाँ आई थी नवरात्र में अब वो बहुत हद तक ठीक हो गयी है। उसके ऊपर का प्रेत भाग गया है। अदालत में पुराने जटिल मामलों का त्वरित निस्तारण किये जाने से फरियादियों की तादात में नवरात्र में जबरदस्त इजाफा हो रहा है।
सूचना क्रांति के दौर में लोग भले ही अन्तरिक्ष चाँद सितारों पर घर बसाने की सोच रहे हों, लेकिन अन्धविश्वाश अभी भी पीछा नहीं छोड़ रहा है। आज भी भूतों की अदालत लगती है जहां हर नवरात्र में आने के बाद कई लोग राहत महसूस करते है। समाज का एक तबका रोगो से लड़ने में अपने आप को हताश पाकर इस अदालत से राहत महसूस करता है।
बीएचयू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा संजय गुप्ता ने बताया कि मैंने ऐसे जगहों पर दौरा किया है दरसल हमारा विज्ञान गांवों तक नहीं पंहुचा है जिसका नतीजा है कि लोग ऐसे कल्चर पर विस्वास करते है।

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